कलयुग की बहने 😡😡

बहन सिस्टर ब्रदर भाई एक बहुत ही खूबसूरत भारतीय समाज में जिए जाने वाला रिश्ता है मां-बाप के बाद शायद नंबर दो यह रिश्ता हमारे समाज में होता है मेरा भी एक मम्मी पापा का परिवार था मेरी दो बहने सुनीता श्रीवास्तव जिसकी शादी काजीपेट में डॉ सुरेंद्र मोहन श्रीवास्तव से हुई थी एवं जिन की एक बेटी निमिषा श्रीवास्तव है मेरी दूसरी बहन नीरू श्रीवास्तव जिसकी शादी श्री अरुण कुमार श्रीवास्तव जी से मथुरा में हुई थी जिनके दो बच्चे हैं सौरभ श्रीवास्तव लड़का है एवं चीनू बेटी है, दिन का विवाह हो चुका है 6 साल पहले मेरी मां की तबीयत खराब हुई थी ब्रेन हेमरेज हो गया था झांसी एक छोटा सा शहर है उत्तर प्रदेश का हालांकि बेसिक सुविधाएं हैं लेकिन बहुत स्पेशियलिटी उम्मीद करना यहां पर बेमानी होगी मैं अपनी मां को ग्वालियर के सहारा अस्पताल में इलाज के लिए ले गया था 7 दिन वहां पर एडमिट रहने के बाद एवं वेंटिलेटर में होने के बाद उनकी मृत्यु हो गई थी इसके बाद पापा मेरे साथ ही झांसी मैं अपने मकान में रहते थे जो हमारा मकान या घर कहा जा सकता है जैसा की आपको विदित है कि जो पास में लोग होते हैं हम उनकी वैल्यू नहीं कर पाते हैं और जो दूर रहते हैं शायद ज्यादा इंटरेक्शन ना होने के साथ कारण उनकी वैल्यू ज्यादा होती है मेरी दोनों बहनों की इस परिवार में अत्यंत महत्वपूर्ण वैल्यू थी और मेरी वैल्यू इस परिवार में लगभग ना के बराबर थी क्योंकि मैं अपने मम्मी पापा के साथ रहता था मेरे दोनों बहने हर रोज फोन करके मेरे मम्मी पापा का हालचाल पूछती थी और अपने भाई के बारे में पूछते किस दिन मेरा भाई ने क्या किया यह दूसरे मायने में कहें कि मेरी जिंदगी में इंटरफेयर करती थी खास तौर से छोटी वाली बहन सुनीता श्रीवास्तव एवं उनका पति डॉ सुरेंद्र मोहन श्रीवास्तव मैंने कई बार पिछले 25 सालों में अपनी बहन से कहा कि आप अपना परिवार देखिए मेरे और मेरे परिवार के बारे में चिंता करने की क्या आवश्यकता है लेकिन बस उनका यह कहना था कि मुझे कुछ नहीं करना सिर्फ मुझे अपने मां बाप की देखभाल करनी है आज मेरे पापा 91 इयर्स के हैं और शुरू से ही मैं बचपन से उनके साथ रहता रहा हूं इसका मतलब है मेरी care और मेंटेनेंस एकदम सही थी कि व्यक्ति 91 साल में भी जिंदा है, मेरे मम्मी पापा दोनों बहनों की फाइनैंशल रुप से हमेशा सहायता करते रहते थे या कहिए अपना समस्त पैसा उन्होंने अपनी दोनों बेटियों की ख्वाहिशों और उनके पति एवं बच्चों की जरूरतों को पूरा करने में लगा दीया बहने कहती थी कि वह अपने मम्मी पापा से बहुत प्यार करती हैं और मैं उनको कतई नहीं चाहता कतई प्यार नहीं करता यह सरासर झूठ था और रहेगा वह सिर्फ अब मेरे मम्मी पापा यह हमारे मम्मी पापा को अपने कब्जे में करने के लिए यह बातें कहा करती थी और रोजाना फोन किया करती थी यकीन मानिए 25 साल से जब से मोबाइल नेटवर्क शुरू हुआ है जो बहन हर रोज अपने मायके में फोन करती है उसको आप क्या इंटरफेरेंस नहीं कहेंगे सोचिए जरा ?? अब मैं आपको असली बात बताता हूं मेरे पापा जुलाई 2022 में बीमार पड़े उनको कुछ पेट की प्रॉब्लम हो रही थी मैंने एक डॉक्टर को दिखाया पापा बोले ठीक नहीं है मैंने दूसरे डॉक्टर को दिखाया पापा बोले यह भी ठीक नहीं है मैंने तीसरे स्पेशलिस्ट को दिखाया पापा बोले यह भी ठीक नहीं है इसके बाद उनकी तबीयत इतनी खराब हो गई कि वह बेड से उठने लायक नहीं रहे तो मैंने एक झांसी के कमला अस्पताल के इमरजेंसी में भर्ती कर दिया डॉ सौरभ श्रीवास्तव जोकि गैस्ट्रो के डीएम हैं बेस्ट झांसी के नंबर वन डॉक्टर है ने उनका इलाज शुरू किया और मुझसे आईसीयू के चार्जर और दवाइयां वगैरह के लगभग ₹18000 जमा करने के लिए किया मैंने किसी तरह इंतजाम करके ₹18000 जमा किए उनका इलाज शुरू कर दिया मेरी बहनों को मेरे पिताजी के बारे में कोई सूचना नहीं मिल रही थी तो उन्होंने पुलिस पीसीआर में फोन कर दिया कि मेरा भाई मेरे पापा को किडनैप करके अपने घर में रखे हुए हैं पुलिस का फोन आते ही मैंने उन्हें पूरी परिस्थितियां बताएं अपने बारे में पूरा डिटेल बताया अपनी पत्नी के बारे में अपने बच्चों के बारे में और अपने परिवार के बारे में और उन्हें अपने घर में आने के लिए आमंत्रित किया पुलिस ने गहराई से मेरी बात सुनी मुस्कुराई और चली गई अपनी बहनों से उनकी इन हरकतों को मैं बर्दाश्त नहीं कर पाता था कि मेरे परिवार में बहुत इंटरफेरेंस करती रहती थी मैं मुझे मां-बाप के देखभाल का बहुत ज्ञान देती थी मेरा बड़ा जीजा भी और छोटा जीजा भी मुझे अक्सर ज्ञान दिया करते थे पापा को अस्पताल में भर्ती करने के बाद मैंने दोनों बहनों को इसकी सूचना दी दोनों बहनों ने कहा की भैया आप उनका ख्याल रखना हम लोग पहुंच रहे हैं मैंने उन्हें बताया कि हम तीन भाई बहन हैं तीनों मिलकर कंट्रीब्यूट्स करके पापा का अच्छा इलाज करा सकते हैं मथुरा से बड़ी दीदी जियाजी आने के बाद एक शानदार होटल नटराज पोर्टिको में दोनों परिवार ठहरे आपस में जो भी डिस्कशन किया और पापा को देखने नर्सिंग होम में आ गए देखने के बाद मेरे बड़े जीजा जी अरुण कुमार श्रीवास्तव और उनका बेटा सौरभ श्रीवास्तव मेरे घर में आया मैं और मेरी पत्नी से बात करने के लिए यहां पर आते ही उन्होंने कहा कि पापा को अल्सर कैसे हो गया आपने उनकी देखभाल कैसे नहीं की और धमकी दी कि अगर आप देखभाल नहीं करोगे तो हम पुलिस में जाएंगे आप की रिपोर्ट करेंगे और एक बोतल खून का इंतजाम हमने ड्राइवर से करा दिया है एक बोतल खून का इंतजाम आप करिए मेरी पत्नी जिसका ब्लड ग्रुप ओ पॉजिटिव है उसने तत्काल एक बोतल ब्लड डोनेट किया और पापा तक पहुंचाया जिसको वह कभी अपनी भाभी नहीं मानते थे उसका मेरे पिता के प्रति यह भावना देखकर मुझे बहुत अच्छा लगा दोस्तों मेरे पापा 91 इयर्स के इतने साल जीने का मतलब यही होगा कि मैं अपने पापा के साथ बहुत अच्छी तरह रहा हूं अन्यथा वह इतनी समय तक नहीं जीते और आज भी जी रहे हैं इस बात का सबूत खुद है अपने आप में पापा के इलाज के बारे में मैंने कहा कि वर्तमान में आप सबसे बड़े हैं जो भी निर्णय करेंगे हम सब को मंजूर होगा मेरा सजेशन है कि तीनों मिलकर पापा का अच्छा इलाज कराएं उन्होंने कहा नहीं मैं पापा को मथुरा ले जा रहा हूं और इस वास्ते उन्होंने नर्सिंग होम के डॉक्टर से केस को आगरा के पुष्पांजलि अस्पताल जाने के लिए रेफर करा लिया और डिस्चार्ज के लिए पेपर तैयार करा कर डिस्चार्ज करा दिया कलयुग यहां से शुरू होता है अब आप मेरी इस ब्लॉग में आश्चर्यचकित हो जाएंगे कि आगे की क्या घटना हुई मेरी बड़ी दीदी मथुरा वाली का बेटा एंबुलेंस की जुगाड़ में लग गया मेरे जीजाजी नर्सिंग होम वालों से लड़ने लगे कि आपने इलाज कैसे बंद कर दिया भाई जब डिस्चार्ज करा लिया तो इलाज कैसे करेगा बात बिगड़ती देख कर सुनीता श्रीवास्तव की बेटी निमिषा श्रीवास्तव ने आईसीयू का चार्ज जमा 6 घंटे के गैप के बाद इलाज शुरू हो सके परंतु कुछ समय बाद उसने अपना पैसा वापस ले लिया और और मां बेटी तुरंत ही उस अस्पताल से गायब हो गई अस्पताल इसके बाद वह मुझे लेकर किसी दूसरे अस्पताल में गए बुंदेला करके कोई अस्पताल था बोले बल्लू यहां पर पापा जी को भर्ती करा देते हैं हमने कहा जैसा आप चाहें वैसा करा दें जहां करा दें और यह कहा कि मैं मेरे पास समय नहीं है मैं वापस मथुरा जा रहा हूं मैंने कहा ठीक है जैसे आपकी मर्जी आप बड़े हैं दोस्तों इसके बाद सौरभ श्रीवास्तव जो मथुरा वाली दीदी का बेटा था और श्री अरुण कुमार श्रीवास्तव जो मेरे बड़े जीजा जी थे दोनों जल्दी से तेजी से एक ऑटो करके पता नहीं कहां भाग गए दोस्तों भाग गए ,भाग गए वर्ड यूज कर रहा हूं साथ में मेरे पापा के पेपर भी लेते चले गए डॉक्टरों के 1 घंटे बाद मैंने अपने दोस्त को भेजा उनके होटल में कि वह कृपया पेपर तो मिला दें ताकि मैं अपने पापा का इलाज करा सकूं मेरे पापा इमरजेंसी में बिना किसी इलाज के 10 घंटे तक ऐसे ही बिना इलाज के रहे थे क्रुशल टाइम में मेरे दीदी जियाजी भाग गए अब सुनिए छोटी वाली दीदी सुनीता श्रीवास्तव और उसकी बेटी निमिषा श्रीवास्तव की कहानी पूरी समय दोनों मुंह बंद करें ,सिले बैठे रहे कुछ नहीं कहा कुछ नहीं सुना तमाशा देखते रहे वह बेटी जिसके लिए मेरे पापा पूरी जिंदगी भर मरते रहे उस पर जान छिड़कने रहे सबसे प्यारी बेटी थी हर तरीके से सहायता करते रहे और वह बेटी उसी रात को ग्वालियर से बेंगलुरु फ्लाइट लेकर दोनों मां बेटी भाग गए, भाग गए वह भी भाग गए, मैं और मेरा दोस्त मेरे बचपन का दोस्त मेरी कॉलेज के जमाने का दोस्त अनिल जायसवाल जो मेरी जीने मरने तक हम साथ रहेंगे हर समय एक दूसरे की सहायता के लिए खड़े होते हैं दुनिया की कोई ताकत हमें अलग नहीं कर सकती उसके साथ पापा को कार में लिटा के हम दोनों मित्र कई अस्पताल और नर्सिंग होम में भटकते रहे परंतु किसी ने मेरे पापा को भर्ती नहीं किया सब मना करते रहे उनकी एज को देखते हुए अंत में दिल्ली से एक डॉक्टर से फोन कराने के उपरांत यहां झांसी के मेडिकल कॉलेज गए झांसी की महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज वहां पर होने भर्ती कराया डॉक्टरों ने इलाज शुरू किया इसके बाद उन्होंने कहा कि उनका ऑपरेशन नहीं हो सकता आप अपने घर में ले जाएं और इलाज करें और सेवा करें अंत में उन्हें अपने घर पर ले आया और इलाज करा रहा हूं आज की डेट तक मेरे पापा सुरक्षित भी हैं और शायद मैं उम्मीद करूंगा और मुझे विश्वास भी है कि मैं दोबारा उनको उनके पैरों में खड़ा कर दूंगा आज ही मैं अपने पापा से कह रहा था पापा आपकी दोनों प्यारी बेटियां आप की परियां आपको बेहाल अवस्था में छोड़कर भाग खड़ी हुई क्योंकि आप की ऐसी हालत देख कर उन्हें एहसास होने लग गया था शायद मेरे पापा ना बच पाए और आप बबलू ,बबलू बोल रहे थे ना हर समय तो उन्हें यह नागवार गुजरा है कि बबलू ऐसा कैसे सेवा कर सकता है और आपका यह नालायक बेटा जो किसी लायक आप नहीं समझते थे आज आपके साथ खड़ा है आज आपके सामने खड़ा है आपकी जान बचाने की कोशिश में लगा हुआ है दोस्तों यह है मेरी दोनों बहनों नीरू श्रीवास्तव और सुनीता श्रीवास्तव की कहानी कलयुग की बहनों की कहानी बदतमीज बहनों की कहानी ,ना शुक्रगुजार बहनों की कहानी ,पैसे के पीछे भागने की बहनों की कहानी , दिखावटी बहनों की कहानी,अपना उल्लू सीधा करने की बहनों की कहानी हम सब यह तो जानते हैं कि यह आर्थिक युग चल रहा है लेकिन इतना भी खुदगर्जी क्या कि अपने सगे पिताजी के लिए आप 10000 भी नहीं खर्च कर सकते बहुत शर्म की बात है बहुत दुख हुआ यह दिन मेरी जिंदगी का सबसे काला दिन था मैं इस दिन को अपनी जिंदगी से अलग हटाना चाहता हूं काट के फेंक देना चाहता हूं यकीन नहीं करना चाहता हूं लेकिन यही सच्चाई है दोस्तों जिसका सामना मुझे करना पड़ा बेहद दुख के साथ करना पड़ा , यहां पर मुझे किसी पर कोई आक्षेप नहीं लगा रहा हूं सिर्फ सच्ची बात बता रहा हूं जो मेरे जीवन में घटित हुई अगर मेरी इस ब्लॉक से कोई भी आहत हुआ हो तो उसके लिए मैं क्षमा प्रार्थी हूं

Doctor’s …who cares

Hardest work & highest-paid, Definitely not the doctor 😂

Doctor’s who did MD medicine get 1.2L which is still less than Engineer’s who works in oracle that too 4yrs younger to them and he cleared engineering from a govt college .not IIT.

Considering the amount of sleepless nights, days without food and sweaty clothes you dont have time to change, doctor profession doesn’t get enough return for amount of work put. Relatives and even colleagues expect us to earn in lakhs. Only very experienced doctors that are famous for pulling a large number of pts are paid in lakhs by hospital. Rest all regret their decision in life. Some doctors who’ve started private practice have flourished, some gets nothing. Only a superspecialist earns very well.

IIT ..anyday. Work hard for one or 2 years, try to crack IIT. Mbbs+ Md wouldnt even reach half the salary an IIT guy gets.This is the situation of our country where people stand the doctors next to God 🙏🙏

Is There Life…After Death

When someone dies, we say, “This person is no more.” That is not true. The person is no more the way you know them, but they still very much exist. The physical body will fall apart, but the mental and pranic body go on, depending upon the strength of the karma. To find another womb, the intensity of this karmic structure should come down, it should become passive. If the karmic structure has become weak because it has run its course, then it finds another body very easily. When one completes his allotted karma for this life, he will die just like that – without disease, accident or injury. That person may find another body within hours.

If one completes his life and dies peacefully, he need not hang around – it goes on immediately. However, if the karmic structure is very intense, unfinished, then it has to finish it. Now he needs much more time to find another body. This is what you are referring to as ghosts. They are more available to your experience because they have more intense karmic structures. There are innumerable such beings all around you, whether you know it or not, but you will not feel most of them because their karma is dissipated. They are just waiting for more dissipation before they find another body.

Where Do We Go When We Die?

This body is a piece of Earth that we have slowly picked up. Whatever we have picked up in body, we have to drop back atom by atom. When it comes to the mind, the discretionary intellect also gets dropped with the process of death. This whole information that is gathered – the subtler body and the subtler mind and the information that is referred to as karma, the software – is still intact, but the discretion is gone.

My Silence…

Means I am tired of fighting and now there’s nothing left to fight for.My silence means I am tired of explaining my feelings, but now I don’t have the energy to explain them any more.My silence means I have adopted to the changes in my life and I don’t want to complaint. My Silence means I am on a self healing process and I am trying to forget everything I am trying to forget everything I ever wanted from you. My Silence means Iam just trying to move on gracefully with all my dignity—neeraj Srivastava.

Father…not everyone

You Might Have a Toxic Father, from Playing the Victim to Comparing You and Your Siblings,

Toxic patterns vary from person to person, but there are a few textbook characteristics to look out for, “Toxic behavior is behavior toward other people that makes them feel bad about their life and themselves,” “It is characterized by criticism, control, manipulation and guilt.” For example, if your dad constantly criticizes your life choices (like badmouthing your spouse or rolling his eyes at your career path), and if this has been an ongoing pattern for as long as you can remember, you might be dealing with a toxic father. Here, nine signs you’re dealing with one, from constantly playing the victim to comparing you to your siblings.Signs You Have Toxic Father

1. He compares you to your siblings

2. He doesn’t respect boundaries

You love your dad, but he’s always had a hard time knowing his place. He’s made a habit of showing up at your house, unannounced, expecting to be able to stay for dinner. Because you love him, you give in, but even after asking him to stop popping in without calling, he continues to do it.

3. He insists on being right

Your dad has hated every person you’ve ever dated, and it’s starting to feel like no one is going to be good enough. He has similar opinions about your career goals, friends and pretty much everything else. If you’ve articulated that you’re happy with your life and the people in it and he still won’t stay out of your business, then your relationship with your dad could be verging on (if not already) toxic.

4. You feel exhausted after spending time or speaking with him

Do you feel totally spent every time you interact with your dad? We’re not talking about feeling like you need to be by yourself for a little while—something that can happen even with people we love being around. Interacting with a toxic person can leave you feeling defeated since their dramatic, needy and high-maintenance tendencies can suck the energy right out of you.

5. He consistently plays the victim

Sometimes, parents can’t help but guilt trip their kids. (“What do you mean, you aren’t coming home for Thanksgiving?”) But there’s a difference between expressing disappointment and creating a toxic environment by blaming everyone else for their feelings. If your dad refuses to talk to you for a week because you’ve decided to spend next Thanksgiving with friends, you could be in toxic territory.

6. He tries to compete with you

Every time you call your dad to talk about a promotion at work or a potty-training breakthrough with your kid, he inevitably steers the conversation to be about his illustrious career or his methods of raising you. Any healthy relationship should be a two-way street, and if your dad is incapable of celebrating your wins—big or small—it’s a sign that there’s an issue.

7. Everything is about him

You just got off a 45-minute phone call with your dad only to realize that he didn’t ask you a single question about your life or how you’re doing. If he was dealing with an important issue or had some exciting news, that’s one thing. But if this happens pretty much every time you talk, then this relationship could be toxic.

8. There are always strings attached

Sure, dad will pick up the grandkids from school, but you’ll never hear the end of how lucky you are to have his help…followed by an immediate request to reorganize his basement. We’re not suggesting our parents should do every little thing for us, but you should be able to ask for a favor without having him hold it over your head or immediately ask for something unreasonable in return.  

9. He’s impossible to please

You’re constantly bending over backward to please everyone in your life—your dad included. Most people are thankful for your flexibility and help, but your dad seems to always want more. If you consistently feel like you’re coming up short in his eyes, it’s not an issue with how you’re doing things, it’s on him. …this is my fair thoughts May be wrong but I invested 28 years to feel so it difficult to explain exactly what is true but always remember true is true .

जीवन के अंतिम क्षण…

कल मेरी यूपी पंचायत राज इलेक्शन में काउंटिंग के लिए गुरसराय ड्यूटी लगी थी आजकल करोना अपने चरम सीमा पर है उसका डर मी आजकल कुछ करने नहीं देता काउंटिंग के बाद आज मैं वापस घर आ रहा था मात्र 70 किलोमीटर दूर है गुरसराय झांसी से मात्र 60 की स्पीड से मैं गाड़ी चला रहा था रिमझिम बरसात हो रही थी ठंडक भी थी अचानक पता नहीं क्या हुआ गाड़ी स्लिप कर गई या मुझ को नींद आ गई सब कुछ उल्टा पुल्टा होने लगा गाड़ी एक तरफ 11 फीट गड्ढे के अंदर चली गई और फेंसिंग को पार करते हुए खेत के अंदर जाकर रुकी पता नहीं क्यों गाड़ी पलटी नहीं लेकिन दुर्घटना बहुत जबरदस्त थी मुझे कुछ पता नहीं लगा मुझे लगा शायद आज मेरा अंतिम दिन होगा इस पृथ्वी पर यकीनन महाकाल के आशीर्वाद से और श्री गणेशा महाराज जी के आशीर्वाद से मैं बिल्कुल ठीक हूं कभी-कभी ऐसा लगता है कि कोई शक्ति आपको बचा रही है धन्यवाद ईश्वर को थोड़ी जिंदगी और देने के लिए…

Importance…

I need you to stop hurting yourself. I need you to stop giving your love to just about anyone. Life is too short to be giving your energy on things and people that don’t matter.

Instead, wait for the one that will love you just the way you deserve.

Be with a man who will choose you each and every day all over again. Someone who will open his heart and give you everything he has.

Be with a man who will never get bored of exploring the map of your body and soul. Someone who will love to dive deep inside every part of you.

Be with a man who will never make you question their love for you. Someone who won’t be afraid to give you the key to his heart.

Be with a man who will get excited by the thought of seeing you. Someone whose eyes will glisten and whose smile will spark the minute that he sees you.

Be with a man who will enjoy planning his future with you. Someone who will be thrilled to spend his entire life beside you. so keep smiling & choose important people wisely ❤️❤️👍

मेरा जीवन…

बात उन दिनों की है जब मैं छोटा था 10th स्टैंडर्ड जीआईसी आगरा में पढ़ता था पापा का ट्रांसफर मेरठ होने से मैंने 12th की पढ़ाई जीआईसी मेरठ में पूरी की यह हर विद्यार्थी का वह समय होता है जब दिल में बहुत अरमान बड़े-बड़े कंपटीशनओं में भाग लेने की इच्छा शक्ति से परिपूर्ण होता है डॉक्टर तो कभी मुझे बनना नहीं था हां एक अच्छी इंजीनियर की चाहत तमन्ना हमेशा मेरे दिल में रही अचानक मेरे पिता का ट्रांसफर मेरे होमटाउन झांसी में हो गया और हम सभी झांसी आ गए मैं आपको बता दूं कि मेरठ आगरा की तुलना में झांसी एक बहुत छोटी सी जगह थी जहां पर एजुकेशन की सुविधाएं सीमित दायरे में थी यहां पर सिविल लाइंस में हमारे दो मकान थे एक में किराएदार पिछले 15 सालों से रह रहा था और एक खाली हुआ था जिसमें हम लोग शिफ्ट हो गए थे.. बस यही से मेरे जीवन के दुर्भाग्य की शुरुआत हुई किराएदार से जब मकान खाली करने के लिए कहा गया तो उसने कई मुकदमे मेरे परिवार पर लगा दिए इसकी वजह से घर में हर समय तनाव चिड़चिड़ापन रहने लगा अक्सर किराएदार से छोटी-छोटी बातों पर लड़ाई भी हो जाया करती थी जिससे मेरी पढ़ाई सबसे ज्यादा प्रभावित होगी आप सोच कर देख सकते हैं नित्य प्रतिदिन झगड़े कभी-कभी पुलिस में एफ आई आर इन सब के रहते एक छोटा बच्चा ट्वेल्थ में तो बच्चा छोटा ही होता है कैसे अपनी जीवन के गाइडलाइन को आगे बढ़ा सकता है इंजीनियर इंट्रेंस देता था रुड़की आईआईटी एम एन आर बहुत से इन कॉलेजों में जाने की चाह रहती थी लेकिन हर जगह कुछ ना कुछ परसेंट से रह जाता था मेरे पेरेंट्स पुराने जमाने के पेरेंट्स की तरह मेरे जीवन की किसी भी चीज में कोई दखल नहीं देते थे कोई गाइड नहीं करते थे बस उनको एक ही टेंशन रहता था कि उनका मकान कब खाली हो घर में हर समय इसी की बातें होती रहती थी केस जिला न्यायालय से उच्च न्यायालय उच्च न्यायालय से उच्चतम न्यायालय में चला कुल 12 वर्ष एवं अट्ठारह case चलने के बाद यह मकान सुप्रीम कोर्ट द्वारा खाली हुआ लेकिन तब तक मेरे जीवन की सही दिशा zigzag होकर इधर-उधर चलते हुए एमएससी एम फिल् तक पहुंच गई थी तभी अचानक एक इंटरव्यू कॉल बिट्स पिलानी राजस्थान से लेक्चरर इन मैथमेटिक्स कि आई जिसको देने में झांसी से दिल्ली गया एवं दिल्ली से पिलानी 4 घंटे लगते हैं वहां पहुंचने में ऐसा वीरान स्थान रेगिस्तान में दुनिया से दूर 2 दिन रहकर मैंने रिटर्न इंटरव्यू दिया यह मैं आपको यह बता दूं कि 1992 में यह वह इंजीनियरिंग कॉलेज है जहां पर उस समय घुड़सवारी की सुविधा मौजूद थी मुझे कुछ पता नहीं था मेरी इंवर्सिटी में एम फिल् पास करने वाले सिर्फ तीन लोग थे मुझे गाइड करने वाला कोई नहीं था कॉलेज वालों ने कहा कि एक weekके अंदर आपको कॉलेज ज्वाइन करना है सैलरी होगी ₹2000 सिलेक्शन की खुशी तो थी लेकिन राजस्थान में रेतीला मैदान देखकर, दुनिया से बिल्कुल आइसोलेटेड कॉलेज देखकर थोड़ा दिल बेचैन हुआ और मेरे घर पहुंचने पर मेरे माता पिता ने कहा सिर्फ 2000 के लिए कहां इतनी दूर जा रहे हो यह मेरे जीवन का पहला टर्निंग प्वाइंट था जो ऑफर यदि मैंने स्वीकार कर लिया होता तो आज मैं बिट्स पिलानी का डायरेक्टर होता किस्मत का वह दरवाजा में बंद कर चुका था जीवन में दूसरा मौका जीएलए इंजीनियरिंग कॉलेज के रूप में आया जहां इंटरव्यू के बाद मुझे ₹10000 का ऑफर दिया गया पर वही कहानी मेरे माता पिता ने कहा अब ₹10000 के लिए कहां जाओगे, तीसरा मौका मुझे इंजीनियरिंग कॉलेज अलवर के रूप में मिला एवं चौथा और अंतिम मौका मुझे अपने जीवन में मुंबई के एक इंजीनियरिंग कॉलेज ज्वाइन करने के लिए मिला मैंने सोचा था कुछ हो जाए मैं अब इस कॉलेज को जॉइन ही करूंगा मैं जा रहा था तो मेरी मां रोने लगी उन्हें लगा शायद इस बार उनका बेटा वापस नहीं आएगा उन्होंने कहा बेटा यह सब तुम्हारा ही है दो मकान है कौन देखेगा तब तो मुझे कुछ नहीं लगा लेकिन आज मैं महसूस करता हूं कि यह पेरेंट्स के द्वारा किया गया इमोशनल ब्लैकमेल ही था ……तो दोस्तों इससे सिर्फ एक ही सीख मिलती है कि माता-पिता को प्यार कीजिए लेकिन अपने कैरियर को भी उतना ही प्यार कीजिए एक अच्छा career आपको ढेर सारी अपॉर्चुनिटी देगा जिससे आप अपने माता-पिता के लिए कुछ कर सकेंगे😘🙏

Mohabbat

कमाल की मोहब्बत थी मुझसे उसको अचानक ही शुरू हुई और बिना बताये ही ख़त्म हो गई…shreen

मैं…

गुजारे होंगे तुमने, कई दिन, महीने, साल… जो काट ना सकोगे वह एक रात में हूं। गुफ्तगू कई दफा कई लोगों से की होगी तुमने, दिल पर जो लगेगी वह एक बात में हूं। भीड़ में जब तन्हा खुद को तुम पाओगे, अपनेपन का एहसास जो करा दे वह एक साथ में हूं। बिताएं होंगे तुमने कई हसीन पल सबके साथ में, जो भुला नहीं पाओगे वह एक याद में हूं।